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जगत उद्धारिनी गौ माता

  • Writer: Sci-Nat-Astro Web
    Sci-Nat-Astro Web
  • Aug 29, 2021
  • 4 min read

भारतवर्ष में गाय को माता कहा गया है। ऐसा माना गया है कि प्रत्येक युग में गाय पंच-गव्यों के माध्यम से मनुष्यों का उद्धार करती आई है। परन्तु अब इस आधुनिक युग में प्लास्टिक की समस्या का समाधान करने में भी गायों की भूमिका सामने आ रही है।

गायों के पेट में छिपा है प्लास्टिक से छुटकारे का रहस्य


भारत के अधिकतर हिस्सों में गाय को पवित्र माना जाता है और उसकी पूजा होती है। ऐसे में जब सड़कों पर घूमने वाली गायों के पेट से कचरा, खासकर प्लास्टिक थैलियां निकलने की घटनाएं सामने आती हैं, तो लोगों को अत्यधिक बुरा लगता है। लेकिन हाल ही में गायों के पेट और प्लास्टिक से जुड़ी एक ऐसी खबर आई है, जो पूरी दुनिया के लिए वरदान साबित हो सकती है। वास्तव में अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि गायों के पेट के एक हिस्से में पाया जाने वाला बैक्टीरिया बिना पर्यावरण को क्षति पहुंचाए प्लास्टिक को खत्म करने का काम कर सकता है।


वर्ष 1950 से अब तक 8 अरब टन यानी 1.5 अरब हाथियों के वज़न के बराबर प्लास्टिक का उत्पादन किया जा चुका है। प्लास्टिक का सबसे अधिक कूड़ा पैकेजिंग, एक बार इस्तेमाल में आने वाले कंटेनरों, कवर और बोतलों से पैदा होता है। हर जगह आसानी से मिलने वाले इन उत्पादों का ही दुष्प्रभाव है कि अब चाहे वायु हो या जल प्लास्टिक कचरा प्रत्येक स्थान पर मौजूद है। कई रिपोर्ट्स में पाया गया कि न सिर्फ लोग इसे अनजाने में खाने के साथ खा रहे हैं बल्कि इसके अति सूक्ष्म कण सांस के साथ हमारे फेफड़ों में भी प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे हालत में पिछले कुछ वर्षों से कई शोधकर्ता ऐसे अति सूक्ष्म जीवों की खोज में हैं, जिनके माध्यम से अमर समझी जाने वाली प्लास्टिक को धीरे-धीरे खत्म किया जा सके।

गाय के पेट में प्लास्टिक का काल


वैसे ऐसे सूक्ष्मजीवों की खोज पहले भी की जा चुकी है, जो प्राकृतिक पॉलिएस्टर (प्लास्टिक का एक रूप) को गला सकते हैं। यह प्राकृतिक पॉलिएस्टर टमाटर और सेब के छिलकों में पाया जाता है। क्योंकि गाय के आहार में भी ये प्राकृतिक पॉलिएस्टर शामिल होता है, इसलिए वैज्ञानिकों को अनुमान था कि गायों के पेट में भी पर्याप्त मात्रा में ऐसे सूक्ष्म रोगाणु मौजूद होंगे, जो पौधों के हर तत्व को खत्म कर सकें।


इसी को सिद्ध करने के लिए वियना की यूनिवर्सिटी ऑफ नैचुरल रिसोर्सेज एंड लाइफ साइंसेज की डॉ डोरिस रिबिच और उनके साथियों ने गायों के पेट के एक हिस्से रूमेन में पाया जाने वाला द्रव्य निकाला। (यह द्रव्य गाय के जीवन को बिना क्षति पहुंचाए भी प्राप्त किया जा सकता है।)


प्लास्टिक गलाने की शुरूआत में समय लगेगा

जब शोधकर्ताओं ने यह द्रव्य निकाल लिया तो इसे तीन तरह के पॉलिएस्टरों, PET (एक सिंथेटिक पॉलिमर, जो आम तौर पर कपड़े और पैकेजिंग में इस्तेमाल होता है), PBAT (बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक जिसका इस्तेमाल अक्सर खाद वाली प्लास्टिक थैलियों में होता है) और PEF (रिन्यूएबल संसाधनों से बनी बायो प्लास्टिक) के साथ मिला दिया गया। इनमें से हर तरह की प्लास्टिक को फिल्म और पाउडर दोनों ही रूपों में रूमेन तरल के साथ मिलाया गया।

नतीजों में पाया गया कि तीनों ही तरह के प्लास्टिक, लैब में गायों के पेट में पाए जाने वाले तरल पदार्थ से गलाए जा सकते हैं। इस प्रयोग में प्लास्टिक का चूरा, प्लास्टिक की फिल्म से ज्यादा तेजी से गला। शोधकर्ता बताते हैं, रूमेन में हजारों की संख्या में सूक्ष्मजीव मौजूद होते हैं, इसलिए प्रयोग के अगले चरण में हम उन उन सूक्ष्म जीवों की खोज करने वाले हैं, जो इस प्लास्टिक को गलाने के लिए जिम्मेदार हैं। फिर उन एंजाइमों को पहचानने की कोशिश होगी, जिन्हें पैदा करके ये सूक्ष्म जीव प्लास्टिक को गलाते हैं। एक बार इन एंजाइमों की पहचान कर ली गई तो उनका उत्पादन किया जा सकेगा और उन्हें रिसाइक्लिंग में इस्तेमाल किया जा सकेगा।


प्लास्टिक की ग्रीन केमिकल रिसाइक्लिंग

फिलहाल, अधिकतर प्लास्टिक कचरे का निस्तारण जलाकर किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसे कई बार अन्य उत्पादों के निर्माण के लिए गलाया भी जाता है लेकिन इस प्रक्रिया में एक समय ऐसा आता है, जब प्लास्टिक इतना खराब हो जाता है कि इसका और अधिक प्रयोग नहीं किया जा सकता। प्लास्टिक निस्तारण की एक अन्य प्रक्रिया में केमिकल रिसाइक्लिंग का इस्तेमाल भी होता है, जिसमें प्लास्टिक को फिर से उसके केमिकल रूप में तोड़ लिया जाता है. लेकिन यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल नहीं होती। ऐसे में एंजाइम का इस्तेमाल प्रदूषणरहित ग्रीन केमिकल रिसाइक्लिंग में किया जा सकता है।

वैसे यह पहली बार नहीं है, जब ऐसे किसी एंजाइम को खोजा गया हो। विज्ञानिक ऐसे एंजाइम खोजने और उन्हें विकसित करने के कार्य में पहले से लगे हैं। पूर्व में दो अलग-अलग एंजाइमों को जोड़कर एक सुपर एंजाइम का निर्माण किया गया था। ये दोनों एंजाइम जापान में प्लास्टिक खाने वाले सूक्ष्मजीवों में एक कचरा फेंकने वाले स्थान पर 2016 में पाए गए थे।

कुछ घंटों में प्लास्टिक खत्म कर सकते हैं सुपर एंजाइम

कृत्रिम तौर पर बनाए एंजाइम का पहला रूप 2018 में ही सामने आ गया था, जो कुछ ही दिनों में प्लास्टिक को खत्म करना शुरू कर देता था। सुपर एंजाइम प्लास्टिक गलाने वाले सामान्य एंजाइम से छह गुना तेज काम करता है। इससे पहले अप्रैल में फ्रेंच कंपनी 'कारबोइस' ने जानकारी दी कि कई अलग-अलग एंजाइम, जिन्हें पत्तियों से बनी खाद के ढेर में पाया गया था, उन्होंने प्लास्टिक की 90% बोतलों को सिर्फ 10 घंटे में ही खत्म कर दिया था।

'फ्रंटियर्स इन बायोइंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी' जर्नल में छपे इस नए रिसर्च के लेखकों ने भी यह कहा है कि रुमेन तरल में कई अलग-अलग तरह के एंजाइम होते हैं जो एक साथ मिलकर प्लास्टिक के खात्मे की प्रक्रिया को पूरा करते हैं। हालांकि रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों ने यह भी माना कि अगर ये एंजाइम सिर्फ PET के अलावा अन्य पॉलिमर की रिसाइक्लिंग में भी काम आ पाते तो ज्यादा अच्छा होता क्योंकि तब इनका इस्तेमाल आम रिसाइक्लिंग पदार्थ की तरह भी किया जा सकता। फिर भी यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि गाय की कृपा समस्त धरा पर अब केवल पंच-गव्यों के रूप तक सीमित नहीं रही।


 
 
 

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