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सूर्य से पुराना जल

  • Writer: Sci-Nat-Astro Web
    Sci-Nat-Astro Web
  • Mar 12, 2023
  • 3 min read

Updated: Sep 25, 2024

ज्योतिषीय सिद्धांतों को सिद्ध करता आधुनिक खगोलशास्त्र


ज्योतिषशास्त्र के रचयिताओं ने ब्रह्माण्ड की छोटी से छोटी विशेषताओं का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर

उन्हें ज्योतिषशास्त्र में समाविष्ट किया है- जैसे पंचमहाभूतों की क्रमबद्ध व्यवस्था। अपने अध्ययन

"खगोलीय व्यवस्था ज्योतिष" में बहुत पहले ही विस्तृत जानकारी के साथ मैंने यह दावा कर दिया था

कि अग्नि- पृथ्वी- वायु- जल के क्रम को जन्म-कुंडली में विशेष प्रकार के चक्राकार क्रम में अंकित

करने के पीछे के कारण भी पूर्णतः वैज्ञानिक हैं, प्रमाणिक हैं और खगोलीय व्यवस्था पर आधारित हैं,

अब उन्हीं तथ्यों में से एक को सही सिद्ध करती एक ऐसी कड़ी को खगोलशास्त्रियों नें भी खोज

निकाला है।

अधिक जानकारी प्राप्त करने हेतु पढ़ें

खगोलीय व्यवस्था ज्योतिष



सूर्य से भी पुराना है पृथ्वी का सारा पानी: अध्ययन


इस अध्ययन की मानें तो जिन पवित्र नदियों में आप स्नान करते आए हैं, जिस जल का श्रद्धालु आचमन करते आए हैं, जिस जल का प्रयोग धर्म-स्थलों में प्रसाद व लंगर में लाया जाता रहा है या जिस जल तत्व से कई जातकों की राशि का संबंध है, वह जल सूर्य से भी प्राचीन है यानि उसका अस्तित्व सूर्य से भी पहले का है।

कुछ दिन पहले खगोलविदों ने पृथ्वी से लगभग 1,300 प्रकाश वर्ष दूर एक ग्रह बनाने वाली डिस्क (Protoplanetary Disc) V883 ओरियोनिस के आसपास पानी का पता लगाया है। इस पानी की संरचना बताती है कि हमारे ग्रह पर पानी सूर्य से

भी पुराना है।

हमारे सौर मंडल में पानी कहां से आया? अंतरिक्ष से जुड़े कई प्रश्नों में ये भी एक प्रश्न है, जिसका जवाब वैज्ञानिक खोज रहे हैं। लेकिन वैज्ञानिकों ने एक तारा प्रणाली खोजी है, जिससे शायद हमें इस रहस्य का पता चल जाए। वैज्ञानिकों ने उत्तरी चिली में अटाकामा लार्ज मिलीमीटर ऐरे ऑफ टेलिस्कोप या ALMA के जरिए 1,300 प्रकाश वर्ष दूर पर मौजूद एक युवा तारे का अवलोकन किया। इस तारे का नाम V883 ओरियोनिस (V883 Orionis) है। तारे के चारों ओर गैस और धूल की डिस्क है।

शोधकर्ताओं की एक टीम ने ग्रह को बनाने वाली डिस्क में कैमिकल सिग्नल को मापने के लिए ALMA का इस्तेमाल किया। इस दौरान उन्हें अंतरिक्ष में गैस के रूप में जल या जलवाष्प मिले हैं। इसकी खोज ने वैज्ञानिकों को बताया है कि कैसे ये पानी सितारा बनाने से लेकर ग्रह निर्माण तक सफर तय करता है। निष्कर्षों से पता चलता है कि सूर्य के ग्रह बनाने वाली डिस्क से बने धूमकेतु पृथ्वी पर पानी ला सकते थे।


4.6 अरब वर्ष से भी पुराना है पानी


वैज्ञानिकों के अनुसार संभवतः पृथ्वी पर मौजूद आधे से भी अधिक पानी सूर्य से भी पुराना है। हमारा सूर्य 4.6 अरब वर्ष पुराना है। नेशनल रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑब्जर्वेटरी के एक खगोलशास्त्री जॉन जे टोबिन ने अपने बयान में कहा, 'अब हम सूर्य के निर्माण से पहले अपने सौर मंडल में पानी की उत्पत्ति का पता लगा सकते हैं।' आमतौर पर पानी के अणु दो हाइड्रोजन अणु और एक ऑक्सीजन अणु से बने होते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं की टीम ने V883 ओरियोनिस में कुछ बदलाव भी देखे हैं।


वैज्ञानिकों को मिला भारी जल


V883 ओरियोनिस में शोधकर्ताओं को भारी जल मिला, जिसमें हाइड्रोजन का एक अणु भारी आइसोटोप से बदल जाता है, जिसे ड्यूटेरियम कहा जाता है। जिस पानी का हम इस्तेमाल करते हैं और भारी पानी दोनों अलग-अलग परिस्थितियों में बनते हैं। शोधकर्ता अब यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर पानी के अणु कब बनने शुरु होते हैं।


एक उन्नत विज्ञान को नष्ट करता अवैज्ञानिक दृष्टिकोण


ज्योतिष में प्रयोग होने वाले कुछ तथ्यों का इस खुलासे से संबंध क्या फिर से इस सत्य को प्रमाणित

कर रहा है कि ज्योतिष रचने वाले ऋषि-मुनि ब्रह्माण्ड के विषय में अत्यधिक जानकारी रखते थे? यदि ऐसा है तो यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ज्योतिष जैसा उन्नत विज्ञान आज व्यर्थ की निपट-गंवारियों के कारण एक विज्ञान न रहकर छद्म विज्ञान की श्रेणी तक सीमित रह गया है और विज्ञान जगत में उसे वैसा सम्मान नहीं मिल पा रहा जिसका वह अधिकारी है।




















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