

SCIENCE, NATURE & ASTROLOGY
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आधुनिक अध्ययनों के आधार पर हाल ही में मंगल पर प्राचीन समय में झील और उसकी सहयोगी नदी की पुष्टि नासा द्वारा की गई है। इससे पूर्व चंद्रमा पर जल तत्व की पुष्टि इसरो और नासा द्वारा की जा चुकी है। भविष्य में ऐसे और भी महत्वपूर्ण तथ्यों के समक्ष आने की संभावना है जो प्राचीन ज्योतिषीय धारणाओं की प्रमाणिकता को और भी अधिक बल प्रदान करने में सहयोगी सिद्ध होंगे, ऐसी धारणाएं जिनका आधार प्रारंभिक समय में चंद्रमा व मंगल पर उपस्थित जल और जीवन को सहयोग करने वाली परिस्थितियाँ ही हैं।
उद्देश्य – वैदिक काल में खगोलशास्त्र भी ज्योतिष महाविद्या का ही अंग रहा। परन्तु समय के साथ बढ़ती बहिर्मुखिता, घटती अंतर्मुखिता, अध्यात्म और विज्ञान के बिगड़ते संतुलन से बढ़ते आडम्बरों और मनुष्य के विवेक पर हावी होते भौतिकता के ग्रहण ने कुछेक बहिर्मुखी खगोलविदों को खगोलशास्त्र को एक पृथ्क विषय या यूं कहें कि विज्ञान की एक भिन्न शाखा बना दिए जाने के लिए उकसाया। बस उसी समय से खगोलशास्त्र को ज्योतिष से पृथ्क समझे जाने का प्रचलन आरम्भ हो गया। इस परिवर्तन के भले ही कुछ भौतिक लाभ रहे लेकिन इसके चलते मनोविज्ञान, अध्यात्म और प्रकृति के स्तरों पर क्षति भी अत्याधिक हुई।
प्राचीन युग में खगोल अध्ययन जब तक ज्योतिष का भाग रहा तब तक खगोलशास्त्र प्राणवान बना रहा परन्तु आधुनिक युग में ज्योतिष से अलग देखे जाने के साथ ही खगोलशास्त्र निष्प्राण हो गया, ऐसे जैसे जीवन ज्योति के बिना हाड-मांस का एक पिण्ड। आज के इस वैज्ञानिक युग में आधुनिक अनुसंधानों को ध्यान में रखकर विज्ञान, प्रकृति एवं असंख्य ग्रहमण्डलों की इस विराट व्यवस्था में पुनः उसी संतुलन, उसी चेतना, उसी प्राण‚ उसी ज्योति को खोजने का प्रयास "Science Nature & Astrology"
